Mai Văn Phấn की कविता, (वियतनाम)
अनुवाद Rati Saxena - dịch sang tiếng Hin-đi, Ấn Độ
घास के एक टुकड़े को पहचानते हुए
चुपचाप साथ साथ सफेद कुमुदियों को सुनते हुए
रोशनी में घुलते हुए
चिन्तामय पन्ना के स्तर तक उठते हुए
M.V.P
आलाप - I
*
सांभर के खुरो के आघात धरती पर पड़ रहे हैं,
अब से यह दुनिया सो नहीं पाएगी
हर चीज व्यस्त है, रात्रि की ओस में उद्दीप्त होती हुई
घास के सिरे, पेड़ों की पत्तियाँ , नयी नवेली पर्वत चोटी
धूप में चमक रही है
चट्टानो के तीखे सिरों पर से चि ड़ियाँ उड़ रही हैं
नदी हरहरा कर बह रही है, तमोटी मछलियाँ जल में तैर रही हैं
दीवार के दूसरी ओर सूरज चमक रहा है
पत्तियों के गुच्छों के पीछे, च िड़ियों के नीड़ और साँझ की श्वा स
*
पौ फटने पर मुझे गुलाब सिखाई दे ते हैं
चिड़ियों की चहचाहट जाग्रत कर रह ी है
उस राह को शुक्रिया जो मुझे आगे बढ़ा रही है
ऊपर मण्डराते बादल
झरती पत्तियाँ
ये छोटी छोटी बातें स्थिति की उपस्थिति को जताती हैं,
इस गली का शान्त मुहाना नीड़ रहि त साँसे थामे खड़ा है
धरती ने अपना मौसम बदल लिये
रेलिंग के खम्बो के समक्ष फूल खिल गये, जिनकी पंखुरियाँ चि कनी और चमकदर हैं
इस पुरातन दरख्त का तना परदर्शी दीख रहा है
यह समूहिक प्रार्थनाओं का वक्त है
पवन देह को आशीष देने का, घण्टी घुनघुनाने का
कल अल सवेरे तुम सब वस्त्र बदल लोगे
मखमली गुलाबों के रंग हवा के झौ ंके के साथ मन्त्र मुग्ध करते हुए
तुम्हारे चेहरे पर प्रतिबिम्बित हो रहे हैं
*
जैसे ही मैं "सुखवती" में प्रवे श करता हूं चिड़ियों की स्वरलहरी
मेरे माथे को भेदती हुई मेरी दे ह में उतरती है
हौले से रुह में पैठ जाती है, फ िर
मेरे खाली मन
No comments:
Post a Comment